Delimitation commission | Polity Notes for UPSC

Delimitation Commission-तो कैसे हैं आप लोग फिर से स्वागत है आपका तू अगर आप भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं तो आपको भी यह आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि तैयारी के वक्त क्लास 11वीं की Polity  में 1 Lesson है परिसीमन आयोग (Delimitation commission)  तो वह क्या ? है उसके बारे में अच्छे से जान लीजिए…..

Delimitation commission upsc

Delimitation commission ( परिसीमन आयोग )

 

तो इस परिसीमन आयोग Delimitation commission को अच्छे से जानने के लिए सबसे पहले आपको निर्वाचन आयोग क्या है उसके बारे में जानना होगा…..

तो अब निर्वाचन आयोग का नाम सुनकर ही आपको पता चल गया होगा कि हम चुनाव के बारे में बात कर रही है जाने की निर्वाचन आयोग को चुनाव करवाने का कार्य दिया गया है और इसमें 3 सदस्य से होते हैं, अब जान लीजिए कि निर्वाचन आयोग के निर्देश में किस-किस का चुनाव होता है तो मैं आपको बता दूं कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोक सभा के,मेंबर राज्य सभा के मेंबर जिन्हें हम संसद भी कहते हैं.

 

What is Delimitation Commission

 

तो अब आगे हम समझ लेते हैं कि जो परिसीमन आयोग (Delimitation commission) है,वह निर्वाचन अयोग (Election commission) से कैसे Relate करता है.

 

परिसीमन आयोग (Delimitation commission):-

 

  1. चुनाव तो हो जाते हैं लेकिन वह व्यक्ति किस क्षेत्र से आएगा वह परिसीमन आयोग ही तय करता है.
  2. परिसीमन आयोग को Boundary commission के नाम से जानते हैं. सीमा को निर्धारित करने का काम परिसीमन आयोग का है.
  3. हर एक जनगणना के बाद भारत की संसद के द्वारा संविधान में अनुच्छेद 82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम (LAW) जारी किया जाता है.
  4. परिसीमन अधिनियम के लागू होने के बाद राष्ट्रपति के द्वारा परिसीमन आयोग की नियुक्ति की जाती है और यह संस्था निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर काम करती है.
  5. संविधान में परिसीमन आयोग के स्पष्ट में कोई निर्देश नहीं दिया गया है, अनुच्छेद 82 के तहत प्रत्येक जनगणना की समाप्ति के बाद लोकसभा एवं राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों के विभाजन एवं पुन: समायोजन का कार्य संसद द्वारा विहित अधिकारी द्वारा किए जाने का प्रावधान है.

 

ध्यान दें जब भी चुनाव होते हैं तो उसका कार्य परिसीमन आयोग और निर्वाचन आयोग मिलकर करते हैं इसमें कोई भी सरकार काम नहीं करती चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार सिर्फ निर्वाचन आयोग और परिसीमन आयोग ही चुनाव करवाते हैं.

 

  1. 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 82 में संशोधन कर परिसीमन पर वर्ष 2000 इसवी तक के लिए रोक लगा दी गई थी.
  2. 84वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2001 ईस्वी के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 82 और 170(3) शर्तों में संशोधन किया गया था, जींस के अनुसार देश की विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या मैं वर्ष 2026 वी तक कोई वृद्धि और कमी नहीं की जाएगी.
  3. परिसीमन आयोग का गठन 12 जुलाई 2002 को न्यायमूर्ति कुलदीप सिंह की अध्यक्षता मैं किया गया था.
  4. इस आयोग की सिफारिशों को केंद्रीय मंत्रालय ने 10 जनवरी 2008 को अनुमति दी थी.
  5. इस परिसीमन से लोकसभा में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ जाएगी परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया था.
  6. परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती.
  7. परिसीमन आयोग के आदेशों को लोक सेवा और संबंधित राज्य विधानसभाओं में रखा जाता है लेकिन लोकसभा और राज्य विधानसभा में परिसीमन आयोग के आदेशों में कोई सुधार यां सरंक्षण नहीं कर सकती.
  8. परिसीमन आयोग के द्वारा प्रत्येक राज्य के प्रदत प्रतिनिधित्व में कोई बदलाव नहीं किया जाता है किंतु जनगणना के आधार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की संबंधित सीटों में परिवर्तन किया जा सकता है.

 

ऐसे राज्य जिनका परिसीमन आयोग 2002 ईस्वी के द्वारा परिसीमन नहीं हो सका जैसे असम,मणिपुर,अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और झारखंड। पूर्वोत्तर चारों राज्यों में स्थानीय विरोध और अदालतों के स्थगन आदेश के कारण परिसीमन नहीं हो सका लेकिन झारखंड में सरकारी नीति के विपरीत आरक्षित सेटिंग कम होने के कारण परिसीमन पूरा नहीं हो सका

 

Delimitation commission work ( आयोग के मुख्य कार्य )

 

  • भारत की जनगणना के आधार पर भारत की सभी लोकसभा और विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों को पुन: सीमाएं निर्धारित करना.
  • सीमाएं पुननिर्धारण में राज्यों में प्रतिनिधित्व को स्थिर करना यानी प्रतिनिधियों की संख्या में कोई परिवर्तन ना करना.
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की विधानसभा सीटों को निर्धारित क्षेत्र की जनगणना के अनुसार ही करना

 

Difference in SC/ST seats after New Delimitation: 

 

जैसे अब हम जान लेते हैं कि नए परिसीमन के बाद आरक्षित सीटों में क्या बदलाव आया है.

 

अनुसूचित जाति की पहले आरक्षित सीटें थी 79 लेकिन अब 84 हो गई है. अनुसूचित जनजाति की पहले आरक्षित सीटें 41 थी लेकिन अब 47 हो गई है.

 

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